- करियर विकास योजना
- होम
- परिचय
- चरण
- करियर के विभिन्न प्रकार
- प्रौद्योगिकी का प्रभाव
- करियर को एक ऑर्गैनिक विकास देना
- करियर में उन्नति के लिए संगठनात्मक आवश्यकताएं
- एक प्रभावी उपकरण के तौर पर मेंटरिंग
- कटौती और छंटनी
- विविधतापूर्ण कार्यबल का प्रबंधन
- उत्तराधिकार की योजना
- वैश्विक माहौल में करियर
- सेवानिवृत्ति योजना
करियर में उन्नति के लिए संगठनात्मक आवश्यकताएं
कर्मचारी प्रेरणा में प्रेरक बल के रूप में व्यक्तिगत उन्नति ने करियर उन्नति की जगह ले ली है। जिस तरह से लोग अपने करियर के बारे में सोचते हैं, उसने इन महत्वपूर्ण बिंदुओं पर प्रकाश डाला है। −
- शक्तियां दिखाने के रास्ते तलाशना
- कार्य जो उन्हें चुनौतियां प्रदान करते हैं।
- स्वभाव के अनुरूप कार्य
- विकास की जरूरतों का संबोधन
- रूचि के अनुरूप कार्य
- मूल्यों के अनुरूप कार्य
संगठनात्मक जरूरतें
हाल के वर्षों में करियर प्रबंधन में एक महत्वपूर्ण बदलाव आया है, जहां एक कर्मचारी अपने निकटतम पर्यवेक्षक से सभी निर्देश प्राप्त करता है। संगठन अब अपने मिशन और दूरदर्शिता के लिए केवल अपने बोर्ड पर निर्भर रहते हैं। कर्मचारी प्रबंधन जैसे शेष सभी महत्त्वपूर्ण दायित्व पर्यवेक्षकों को दिए गए हैं। ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि ऐसे भिन्न मामले केवल उन व्यक्तियों को ही सौंपे जाते हैं जिन्होंने इन कर्मचारियों के साथ काम किया है।
आज के गतिशील काम के माहौल में कर्मचारी अन्य लोगों के साथ अपने कामकाजी संबंधों और अंतर्वैयक्तिक कौशल से विकास के अवसर पाते हैं। यह परंपरागत परिदृश्य के विपरीत है, जहां उच्च प्रबंधन से लोगों का एक समूह केंद्रीय निर्णय लेता था, और एक याेग्य व्यक्ति को विकास के अवसर लम्बी बैठकें और प्रबंधन संबंधी शिक्षाओं के बाद दिये जाते थे।
आपात मुद्दे जिनका पर्यवेक्षक सामना करते हैं।
चूंकि पर्यवेक्षकों से अधिक से अधिक से आशा की जा रही है कि वे प्रबंधकीय निर्णय लेंगे, संगठन में कैरियर प्रबंधन काउंसलर की भूमिका अनावश्यक हो गई है। हालांकि, कर्मचारियों को कैसे प्रेरित करें और अंतर्वैयक्तिक कौशल सीखने के लिए पर्यवेक्षकों को प्रशिक्षण लेने की आवश्यकता है।
जैसा कि कम्पनी उनसे आशा करती है कि एक बार जब पर्यवेक्षक लोगों के प्रतिनिधि बन जाते हैं तो वे कम्पनी के उन आपात मुद्दों को संबोधित करने में सक्षम हो जायेंगे जिनका कम्पनी निकट भविष्य में सामना कर सकती है। उनमें से कुछ मुद्दे नीचे दिये गये हैं। −
- अगले तीन सालों के कई रणनीतिक मुद्दे जिनका संगठन सामना कर रहे हैं।
- संगठनों के अगले तीन वर्षों की सबसे अहम जरूरतें और चुनौतियां।
- इन चुनौतियों का सामना करने के लिए आवश्यक आलोचनात्मक कौशल और ज्ञान।
- इसके लिए आवश्यक कर्मचारी क्षमता और योग्यता
- मुद्दों का समाधान करने के लिए प्रबंधन की क्षमता
अगले अध्याय में हम चर्चा करेंगे कि सलाह कैसे एक प्रभावी उपकरण हो सकती है।