डिजाइन थिंकिंग - विशेषता



डिजाइन थिंकिंग, सिद्धांत, विधि, प्रक्रिया, चुनौतियों आदि जैसे विभिन्न लक्षणों का व्यापक अध्ययन होता है।  आइए डिजाइन थिंकिंग के गुणों पर एक नजर डालते हैं।

डिजाइन थिंकिंग के सिद्धांत

क्रिस्टोफ मीनेल और लैरी लेइफर के अनुसार डिजाइन थिंकिंग के चार सिद्धांत होते हैं।

  • मानवीय नियम(Human Rule) − यह नियम बताता है कि सभी प्रकार की डिजाइन गतिविधि मूलभूत रूप से प्रकृति में सामाजिक होती हैं।

  • अस्पष्ट नियम (Ambiguity Rule) − यह नियम सभी डिजाइन थिंकर्स से चाहता है कि वे डिजाइन थिंकिंग प्रक्रिया में अस्पष्टता बनाए रखें।

  • पुनः डिज़ाइन नियम (Re-design Rule) − री-डिजाइन नियम कहता है कि सभी डिजाइन मूल से रूप से री-डिजाइन के उदाहरण होते हैं।

  • वास्तविकता नियम (Tangibility Rule) − वास्तविकता नियम कहता है कि विचारों का वास्तविक बनाना डीजाइन विचारकों में संवाद को सुगम करता है।

डिजाइन सोच के सिद्धांत

ये चार सिद्धांत डिजाइन थिंकिंग प्रक्रिया की नींव बनाते हैं। एक डिजाइन विचारक को अपने विचारों को बनाने और इन सिद्धांतों के आधार पर उन्हें आगे रखने की जरूरत है।

चुनौतियाँ

अगली विशेषता को विकड प्रॉब्लम्ज़(wicked problems) कहा जाता है। ये वो चुनौतियां होती हैं जो डिजाइन थिंकर्स द्वारा सामने आती हैं। इन विकड प्रॉब्लम्स से निपटने के लिए डिजाइन थिंकिंग ने लगभग सभी पेशों में डिजाइनरों की मदद की है। ये चुनौतियां  अपेक्षाकृत अस्पष्ट या पेचीदा होती हैं।

होर्स्ट रिटेल(Horst Rittel) पहले व्यक्ति थे जिन्होंने विकड प्रॉब्लम्स जैसे शब्द के साथ ऐसी समस्याओं का उल्लेख किया था। अस्पष्ट समस्याओं के मामले में समस्या का ब्यौरा और समाधान दोनों डिजाइन थिंकिंग अभ्यास की शुरुआत में अज्ञात होते हैं। अच्छी तरह से परिभाषित समस्याओं में कम से कम समस्या का ब्यौरा स्पष्ट होता है और समाधान तकनीकी ज्ञान के माध्यम से उपलब्ध होते हैं।

विकड प्रॉब्लम्ज़ में डिजाइन थिंकर के पास समस्या का सामान्य विचार हो सकता है लेकिन ज्यादातर समय और प्रयास आवश्यक विश्लेषण में चले जाते हैं। आवश्यकताएं एकत्रित करना, समस्या परिभाषा, और समस्या को आकार देने के लिए डिजाइन थिंकिंग के इस पहलू के प्रमुख भाग हैं।

द आहा- मोमेंट(The Aha-Moment)

एक बार यदि डिजाइन थिंकर समाधान खोजने में काफी समय बिता देते हैं तब एक क्षण आता है जब थिंकर अचानक उसके सभी अवरोधों से निकलने का रास्ता खोज लेता है। यह वह पल होता है जब थिंकर्स के दिमाग में समाधान या एक स्पष्ट विचार अचानक आता है। आहा- मोमेंट वह समय होता है जब समरूप सोच(convergent thinking) और भिन्न सोच(divergent thinking), विश्लेषण(analysis), समस्या की परिभाषा और आकार देना, आवश्यकताओं का विश्लेषण और समस्या की प्रकृति सभी एक साथ आते हैं और सबसे अच्छे प्रस्ताव को अपना लिया जाता है

आहा- मोमेंट में डिजाइन थिंकिंग की प्रक्रिया स्पष्ट दिखाई देने लगती है जो वास्तव में उस क्षण से पहले धुंधली और दिशाहीन दिखाई देती है। इस पल के बाद समाधान पर फोकस स्पष्ट हो जाता है और अंतिम उत्पाद या अंतिम समाधान का निर्माण इसके बाद किया जाता है।

डिजाइन प्रणाली

हर डिजाइन अनुशासन विशिष्ट तकनीकों, नियमों और काम करने के तरीके के एक सेट का उपयोग करता है। इन्हें डिजाइन मेथड्स कहा जाता है। इन मेथड्स में साक्षात्कार, उपयोगकर्ता प्रोफाइल बनाने, दुनिया में उपलब्ध अन्य समाधानों की तलाश, माइंड- मैप्स तैयार करना, समस्या को सुलझाने के लिए प्रोटोटाइप्स तैयार करना और फाइव व्हाइस की तरह के प्रश्नों के उत्तर देने के लिए कार्य करना, शामिल होते हैं।

फाइव व्हाइस (पाँच क्यों) एक पुनरावृत्त पूछताछ तकनीक होती है जिसका प्रयोग एक विशेष समस्या के मुख्य कारण और प्रभाव के संबंधों का पता लगाने के लिए किया जाता है। यह तकनीक "क्यों" प्रश्न  को दोहरा कर किसी भी समस्या का मूल कारण निर्धारित करने में मदद करती है क्योंकि प्रत्येक प्रश्न अगले सवाल का आधार बनाता है। यह तकनीक साकिची टोयोडा(Sakichi Toyoda) द्वारा विकसित की गई है। यह डिजाइनरों द्वारा सामना की जा रही कई समस्याओं का मूल कारण खोजने में मदद करता है। फाइव व्हाइस (Five whys) तकनीक का प्रयोग मूल कारण का विश्लेषण करने के लिए किया जाता है।

डिजाइन थिकिंग की फाइव- स्टेप(Five-step) प्रक्रिया

डिजाइन थिंकिंग प्रोसेस या विधि में पांच चरणों का पालन किया जाना चाहिए। यह प्रक्रिया ग्राहक की समस्या या एंड-यूज़र के साथ सहानुभूति ज़ाहिर करने से शुरू होती है। प्रक्रिया तब अलग-अलग विचारों का उपयोग करके समाधानों पर विचार करती है। प्रोटोटाइप समरूप सोच के बाद विकसित किया गया है और फिर डिजाइन थिंकर्स प्रोटोटाइप का परीक्षण करने के लिए सहारा लेते हैं। हम इस ट्यूटोरियल के अगले अध्यायों में प्रत्येक चरणों के बारे में अधिक जानेंगे।

फाइव- स्टेप(Five-step) प्रक्रिया

अनुरूपता(Analogies) का उपयोग

एक डिजाइन थिंकर के लिए अस्पष्ट समस्याएँ जिसमें दुर्भावनापूर्ण संबंध शामिल होते हैं के लिए तर्कसंगत होना अनिवार्य है। इस समस्या को एनालॉजिज़ का उपयोग करके संबोधित किया जा सकता है। किसी भी स्थिति के अस्पष्ट तत्वों की समझ विकसित करने के द्वारा विजुअल थिंकिंग को विभिन्न आंतरिक अभिवेदनों, जैसे कि छवियों के संबंध में सहायता कर सकती है।

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