व्यावसायिक लेखन के कौशल - एक परिचय



प्रोफेशनल लाइफ में स्पष्ट और संक्षिप्त संचार की मांग को लेकर व्यावसायिक लेखन की जरूरत सामने आती है, इसके जरिये हम अपने सहकर्मियों, बड़ों और दूसरे संस्थानों के प्रतिनिधियों से संवाद कर पाते हैं। बड़े संस्थानों में व्यवसायिक लेखन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है क्योंकि ऐसी जगहों पर स्पष्ट और पारदर्शी संचार के माध्यम से ही काम को अंजाम दिया जाता है। जैसे भेजे गये संदेश स्पष्ट, सटीक एवं पूरे तौर पर तथ्य पर आधारित होने चाहिए।

स्पष्ट और संक्षिप्त प्रोफेशनल राइटिंग (पेशेवर लेखन) की कानून, इंजीनियरिंग, तकनीकी मैनुअल और उत्पाद लेबल जैसे कई क्षेत्रों में बहुत आवश्यकता होती है क्योंकि ऐसे क्षेत्रों में अस्पष्ट लेखन गलतफहमी को जन्म देता है और जिसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।

प्रभावशाली लेखन क्यों जरुरी है?

आजकल कई पेशेवरों को विशेष रूप से अपने कैरियर के शुरुआती दौर में औपचारिक व्यावसायिक लेखन की कला सीखने के लिये मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है क्योंकि वे बुनियादी व्याकरण, वर्तनी और विराम चिह्नों के सही प्रयोग के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिये संघर्ष करते रहते हैं। यह एक बड़ी खामी है जो न सिर्फ उनके आत्मविश्वास को घटाती है बल्कि किसी भी तरह के दस्तावेज़ बनाने या सूचना के रूप में इनको प्रस्तुत करने में भी आड़े आती है।

प्रभावशाली लेखन की कला के जरिये वे अपने लिखित संचार में सुधार करने के साथ-साथ ऐसे वांछित तथ्यों और विचारों को प्रस्तुत कर सकते हैं जिन्हें वे हमेशा से व्यक्त करना चाहते थे। ऐसा करने से कंपनी में न सिर्फ उनका आत्मविश्वास उभर कर सामने आता है बल्कि उनका भविष्य भी उज्ज्वल दिखने लगता है।

आप कैसे अपने संदेश के जरिये अपना चित्रण करते हैं?

आपके द्वारा किये गये ईमेल्स के अर्थ की व्याख्या के आधार पर ईमेल पढ़ने वाले अपने दिमाग में आपके और आपकी कंपनी के प्रति एक छवि बना लेते हैं।  व्यवसायिक लेखन का मकसद स्पष्ट संप्रेषण है जिसमें पढ़नेवालों, आपकी और अपने कंपनी की छवि को खयाल रखा जाना चाहिये। हम जिस तरह के शब्द और वाक्य लिखते हैं वह पढ़नेवालों के दिमाग में हमारे प्रति एक धारणा बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

व्यावसायिक लेखन में आम त्रुटियां

व्यवसायिक लेखन में कम और सटीक शब्दों का इस्तेमाल करना ही पर्याप्त होता है। बहुत से लोग लिखने के तौर पर तो बहुत ज्यादा शब्दों का इस्तेमाल करते हैं फिर भी वे अपने लेखन के माध्यम से अधूरी जानकारी ही लोगों तक पहुँचा पाते हैं। इन दोनों के बीच में संतुलन बना पाना एक टेढ़ी खीर से कम नहीं है। चलिये अब उन गलतियों पर चर्चा करते हैं जो आमतौर पर लेखनों में पायी जाती हैं। −

  • कई लोग किसी चीज का वर्णन करने के लिये बहुत बड़े-बड़े तथा अत्यंत कठिन शब्दों का इस्तेमाल करते हैं जबकि उसी चीज को बहुत ही सरल और आमफ़हम जुबान में बताया जा सकता है। ऐसे शब्द भ्रामक होने के साथ-साथ इतने अस्पष्ट होते हैं कि इनके जरिये साफ-साफ कुछ नहीं समझा जा सकता।

  • अत्यधिक औपचारिक शैली वाले वाक्यों का इस्तेमाल अंग्रेजों के जमाने से चलता आ रहा है जैसे-"We would desire it to the best of my intentions that you make your presence felt" (यदि आप हमारे यहाँ तशरीफ लाते तो हमें बड़ी खुशी होती) इस वाक्य को आसान भाषा में "We will be pleased if you come" (आप आयेंगे तो खुशी होगी) भी कह सकते हैं और इस तरह यदि हम सरल भाषा का प्रयोग करते हैं तो बिना किसी भ्रांति के बहुत कम शब्दों में अपनी भावनाओं को व्यक्त कर सकते हैं।

  • गलतियों की जड़ की बात करें तो कई बार टाइपिंग में गलती के कारण गलत स्पेलिंग टाइप हो जाता है जैसे 'spirit, meet, user' की जगह यदि 'sprite, meat, usher' टाइप हो जाये तो अर्थ का अनर्थ हो जाता है और कई बार तो इसकी वजह से काफी शर्मिंदगी का भी सामना करना पड़ता है। अब मान लिजिये कि किसी से 'I will saw you soon?' टाइप हो जाये तो क्या होगा।

  • कुछ पेशेवर दूसरा तरीका अपनाते हैं - वे बहुत छोटे वाक्य लिखते हैं और कई बार तो ऐसे वाक्यांशों का प्रयोग करते हैं जिससे न तो कोई अर्थ प्राप्त होता है और न ही उससे किसी निर्देश का पता चलता है। इसके कुछ नमूने इस प्रकार हैं - 'See u today@5', 'Meeting tomorrow at 10'

प्रेरक लेखन का एआईडीए फार्मूला

यदि आप विज्ञापनों को गौर से देखें तो उसमें आपको ध्यान आकर्षित करने वाला एक दिलचस्प पैटर्न दिखेगा जो इतना मजेदार होता है कि तुरंत ही आपका ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर लता है। पृष्ठभूमि में उस उत्पाद की विशेषताएँ और लाभ का विवरण दिया होता जो आपकी रुचि जगाता है। आपको इसका अहसास भी नहीं होता और आप उस आकर्षक प्रस्तुति और प्रेरक शैली से इतना अधिक आकर्षित हो जाते हैं कि आपके मन में उस उत्पाद को कम से कम एक बार इस्तेमाल करने की चाह जग जाती है फिर आप उस उत्पाद को पाने की कोशिश करने लगते हैं।

यदि आपने भी कुछ ऐसा ही अनुभव किया है या आप किसी ऐसे व्यक्ति को जानते हैं जिसने कुछ ऐसा ही अनुभव किया है तो आप एआईडीए की शक्ति को आसानी से समझ पायेंगे। ऐसी स्थिति में आपको यह जानकर बिल्कुल भी आश्चर्य नहीं होगा कि इसका आविष्कार मार्केटिंग उद्योग द्वारा ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए किया गया था।

आज के दौर में उसी इरादे से पाठक को अपनी प्रस्तुति एवं अनुनय से आकर्षित और प्रभावित करने के लिये व्यावसायिक लेखन में भी एआईडीए तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है। एआईडीए के चार सोपान होते हैं −

  • ध्यानाकर्षण − ध्यान आकर्षित करने वाले वाक्यों के माध्यम से पाठक का ध्यान खींचें।

  • रुचि − इसका विशेष खयाल रखें कि पाठकों को क्या पसंद और फिर उसका लाभ बताते हुये पाठकों में रुचि उत्पन्न करें

  • इच्छा − बीच वाले पैराग्राफ का इस्तेमाल करके पाठक को परिपालन करने के लिए प्रोत्साहित करें।

  • कार्य − अपनी इच्छाओं की प्राप्ति के लिये पाठकों द्वारा किये जाने वाले आवश्यक कार्य।

प्रयोजनपूर्ण लेखन

कई लोग ऐसे पांडुलिपि या दस्तावेज लिखने से हिचकिचाते हैं जिसे ऑफिस में परिचालित किया जा सकता है। इसके कारण साफ हैं। व्यवसायिक इस्तेमाल के लिये लिखे जाने वाले लेखों को लिखते समय कई चीजों का विशेष खयाल रखना पड़ता है। सही शब्दों का चयन, वाक्य संरचना, व्याकरण की सटीकता, सही वर्तनी, सही प्रयोग और इसके साथ-साथ लिखते समय यह भी खयाल रखना बहुत महत्वपूर्ण है कि आपके साथी कर्मचारी आपके बारे में क्या सोचेंगे।

इस कार्य को कैसे संभाला जाये? एक पुरानी कहावत है कि यदि श्री गणेश अच्छा हो तो समझ लो कि काम पूरा हो जाएगा। हमें इस धारण को अपने लेखन में भी अपनाना होगा। हमें यह जानना जरूरी है कि हम कोई लेख किस मकसद से लिख रहे हैं और निन्मलिखित प्रश्नों से हमारे मन चल रहे इस तरह के सवालों के जवाब मिल जायेंगे। −

  • आपके पाठक कौन हैं?

    इससे आपको शब्दावली और वाक्य रचना को समझने में मदद मिलेगी जोकि पाठकों के अनुसार उपयुक्त होगी।

  • आपके डॉक्यूमेन्ट का उद्देश्य क्या है?

    आपके लिये यह जानना आवश्यक है कि आप कोई लेख क्यों लिख रहे हैं?

  • पाठकों को आपका डॉक्यूमेन्ट क्यों पढ़ना चाहिए?

    अर्थात् आपको अपने डॉक्यूमेन्ट में पाठकों को दिये जाने वाले संदेश का भी खयाल रखना होगा।

  • आप कैसे परिणामों की उम्मीद रखते हैं?

    प्रत्येक क्रिया की एक समान और विपरीत प्रतिक्रिया होती है इसलिए, आपके द्वारा लिखे जाने वाले प्रत्येक शब्द की एक समान प्रतिक्रिया जरूर होनी चाहिये (इसके विपरीत प्रतिक्रिया न भी हो तो भी)। इसका तात्पर्य यह है कि यदि आप इच्छानुसार प्रतिक्रिया या परिणाम प्राप्त करना चाहते हैं तो आपके शब्द ऐसे होने चाहिए जो स्पष्टतया वही व्यक्त करें जो आप कहना चाहते हैं।

शुरू करना

विशेषज्ञों का दावा है कि पाठकों से किसी कार्य को तुरंत या बाद में किये जाने के लिये पहला कदम उठाने के लिये आह्वान करना ही व्यावसायिक लेखन का वास्तविक उद्देश्य होता है। क्या आपको एआईडीए तकनीक याद है? यह ऐक्शन पर समाप्त हुआ था और इसी (ऐक्शन) की प्राप्ति प्रत्येक लेखन का लक्ष्य होता है।

जब एक मैनेजर अपनी टीम के सदस्यों से कोई काम करने के लिये एक मेल करता है तो वांछित कार्य का पूर्णतः या अंशतः संपूर्ण होना इस बात पर आधारित होता है कि उस मेल में दिये जाने वाले निर्देश कितने स्पष्ट हैं और प्रत्येक व्यक्ति उसको किस तरह से समझता है। चलिये अब उन महत्वपूर्ण बातों पर ध्यान केंद्रित करते हैं जिसपर किसी भी लेखन को डिजाइन करते समय ध्यान रखना चाहिये। व्यवसायिक डॉक्यूमेन्ट लिखते समय निम्न बातों का विशेष खयाल रखा जाना चाहिये −

  • ये जानें कि आप क्या लिखना चाहते हैं।
  • वह लिखें जो आप प्राप्त करना चाहते हैं।

इन दो चीजों को जानने से आपको किसी तरह के लेखन को सही दिशा देने में मदद मिलेगी और सही दृष्टिकोण खोजने हेतु सबसे प्रभावी तरीकों में से एक ब्रेन्स्टॉर्मिंग (मंथन) है। – ब्रेन्स्टॉर्मिंग (मंथन).

ब्रेन्स्टॉर्मिंग (मंथन)

तर्कसंगत क्रम, अनुक्रम, विराम चिह्न और वर्तनी के बारे में बिना परवाह किये आपके दिमाग में आने वाले किसी भी तरह के विचार को कलम से उतारने की तकनीक को ब्रेन्स्टॉर्मिंग (मंथन) कहा जाता है। ब्रेन्स्टॉर्मिंग (मंथन) के दौरान, विचारों के क्रम और शब्दों के सही प्रयोग के बारे में चिंता करने की आवश्यकता नहीं होती है। इसके बजाय एक व्यक्ति को विषय विशेष के बारे में अधिकाधिक जानकारी प्राप्त करने के लिये ध्यान केंद्रित करना चाहिये।

किसी भी विषय पर विचार करने के लिये आप समय लीजिये। अपने विचारों को एकत्रित करके यूँ ही उन्हें कलम से उतारना शुरू कर दीजिये। मन में आ रहे विचारों को स्वतंत्र छोड़ दें ताकि उससे जुड़े कई और विचार आते रहें। सूचनाओं के इस संग्रह के माध्यम से आप धीरे-धीरे उस विषय के अन्य पहलुओं को समझ पायेंगे। कागज पर लिखे गए अपने विचारों के बारे में आप जितना ज्यादा सोचेंगे आपके मन में उतने ही ज्यादा नए विचार आयेंगे।

अब इन विचारों को एक तार्किक प्रवाह में व्यवस्थित करने का प्रयास करें। अभी व्याकरण की जाँच शुरू न करें। एक समान प्रवाह प्राप्त करने का प्रयास करें। अब आपके सभी विचारों को सुव्यवस्थित किया जाएगा। उसके बाद आवश्यक संपादन करें जैसे कुछ शब्दों को अधिक उपयुक्त शब्दों से बदलें, व्याकरण की जाँच करें तथा प्रयोग किए गए शब्दों पर पुनर्विचार करें और वर्तनी तथा विराम चिह्न के प्रयोग को जाँचें।

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