एटिकेट्स का विकास - परिचय



एटिकेट्स ऐसे निर्देशों का एक सेट होता है जिसे सही तरह से पालन किया जाये तो आप जिससे बात करते हैं उसके मन में आपके प्रति एक अच्छी छवि बनती है। इसके साथ-साथ एटिकेट्स एक व्यक्ति को पेशेवर तरीके से व्यवहार करना और स्थिति के अनुरूप स्वयं को उचित ढंग से पेश करना भी सिखाता है।

“एटिकेट” शब्द फ्रेंच के एस्टिकेट शब्द से आया जिसका अर्थ “टिकट या लेबल” होता था। उस जमाने में कोर्ट में एक चलन था कि अपेक्षित व्यवहारों को कार्डों पर मुद्रित (प्रिंट) किया जाता था ताकि अदालतों में उचित अनुशासन बना रहे। बाद में अमीर तथा उच्च वर्ग के लोगों ने इसे अपने रोजमर्रा के जीवन में इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है।

जहाँ पहले आमंत्रण पत्र में सिर्फ तिथि और समय लिखा रहता था वहाँ लोगों ने कई और सूचनाएं देनी शुरू कर दी जैसे-भवन का नक्शा, कहां गाड़ी खड़ी करनी है आदि। दूसरे लोगों ने भी इस परिपाटी का पालन करना शुरू कर दिया और जल्द ही सार्वजनिक भवन में अपने प्रवेश द्वार पर उन आचार व्यवहारों को लगाने लगे जिनकी वे अपने आगंतुकों (आनेवालों) से अनुपालना की अपेक्षा करते हैं।

बाद में "वावेल करप्शन" की वजह से शब्द एस्टीकेट - एटीकेट, शब्द के रूप में परिवर्तित हो गया। चूंकि इस शब्द का उपयोग अब कार्ड और कुछ मानदंडों तक सीमित नहीं था जो तब केवल उच्च वर्ग के लोगों के घरों में पाया जाता बल्कि अब यह जीवन का हिस्सा बन चुका था। इस तरह धीरे-धीरे एटिकेट शब्द का अर्थ अपेक्षित व्यवहार हो गया।

'एटिकेट' बनाम 'मैनर्स' बनाम 'कर्टसी' (शिष्टाचार बनाम व्यवहार बनाम शालीनता)

बातचीत करते समय इन शब्दों का इस्तेमाल फेर -बदलकर किया जाता है इसलिये कई बार लोग इन तीनों शब्दों-“एटिकेट”, “मैनर्स” और “कर्टसी” के इस्तेमाल में गलती करते हैं। आइए जानें कि इनका क्या अर्थ है −

कर्टसी (शालीनता)

कर्टसी (शालीनता) से तात्पर्य विनम्र रहने तथा किसी खास समय में एक व्यक्ति द्वारा ऐसे व्यवहार किये जाने से है जिसे वह उचित समझता है। जैसे पहले किसी महिला यात्री को बैठने के लिये अपनी सीट छोड़ देने को शालीनता मानी जाती है। हालांकि समय के साथ इन रवैयों में बदलाव आते हैं। अपने सहकर्मी को अंदर आने के लिए ऑटोमैटिक लिफ्ट के दरवाज़े को खुला रखना- आज के समय में शालीनता का एक उदाहरण हो सकता है।

एटिकेट (शिष्टाचार)

यह आचार संहिता है जिसकी लोगों से विभिन्न सामाजिक हलकों में अनुपालना की अपेक्षा की जाती है । यह निर्देशों का ऐसा संग्रह है जो भले ही लिखित रूप में मौजूद न हो लेकिन इसे किसी लिखित नियम से कम महत्व नहीं दिया जाता। एटिकेट यह बताता है कि किसी समाज में एक व्यक्ति का व्यवहार किस प्रकार का होना चाहिये ताकि वह वहाँ के सभी लोगों के मन में एक सकारात्मक छाप छोड़ सके।

मैनर्स (व्यवहार)

मैनर एक न्यूट्रल टर्म होता है जिसका मतलब सिर्फ “कार्य” होता है। यही कारण है कि हम इसके साथ “गुड” या “बैड” (“अच्छा” या “बुरा”) शब्द इस्तेमाल करते हैं। इसलिए आप जब किसी के अभद्र व्यवहार से परेशान होकर उससे यह कहते हैं कि - “तुम्हारे पास मैनर्स नहीं हैं क्या!” और वो आपसे “हाँ” कहता है तो हो सकता है कि वह वाकई सही बोल रहा है।

मैनर्स तो सभी के पास होता है लेकिन यह उसके परवरिश, परिवेश और शिक्षा पर निर्भर करता है कि वो अच्छा या बुरा व्यवहार करता है। संक्षेप में यह कहा जा सकता है कि एटिकेट्स हमें यह बताता है कि किस तरह व्यवहार करना चाहिये और आख़िरकार हम जिस प्रकार व्यवहार करते हैं - ये मैनर्स होते हैं।

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