करियर विकास योजना - क्विक गाइड



करियर विकास योजना - परिचय

सभी संगठन निरंतर सुधार करना चाहते हैंं। बदलाव किसी भी संगठन में सुधार लाने के सबसे प्रभावी तरीकों में से एक है। बदलाव के बिना कोई सुधार संभव नहीं है। यही नियम कर्मचारियों के साथ भी लागू होता है। यदि कोई कर्मचारी अपने जीवन में बदलाव नहीं लाना चाहता तो उसके करियर में सुधार लाना संभव नहीं होगा।

आजकल यदि कोई यह आशा करता है कि उसके बगैर कुछ किये या अपने करियर में बिना कोेई कौशल विकसित किये उसके साथ सारी चीजें ठीक से होंगी तो वह निस्संदेह ही एक खयाली दुनिया में जी रहा है। यही कारण है कि कई संगठनों ने अपने कर्मचारियों को कुशल बनाने के लिए स्वयं विकास योजना शुरू की है ताकि उनके कर्मचारी भी विश्वस्तर पर प्रतिभाशाली बन सकें। इस नये कौशल अर्जन के बूते वे सरलता से व्यक्तिगत विकास के सोपान चढ़ सकते हैं और दीर्घकालिक-सफल करियर का लुत्फ उठा सकतेे हैं। सफल करियर का मंत्र इन सरल शब्दों में निहीत है, उपयुक्त कौशल के साथ, उचित समय और मुनासिब जगह पर एक लाजवाब कर्मचारी बनें।

सफल करियर का मंत्र

करियर विकास योजना क्या है?

करियर विकास उन दुर्लभ कदमों में से एक है जो कर्मचारी और नियोक्ता, दोनों  की जरूरतों को रेखांकित करता है। प्रत्येक संगठन यही चाहता है कि उसके कर्मचारी अपनी पेशेवर जिंदगी में तरक्की करें ताकि वे अपने अापको भविष्य की चुनौतियों के अनुरूप परिवर्तित कर सकें।

यही मुख्य कारण है कि संगठन अपने ध्येय को कर्मचारियोंं के व्यक्तिगत लक्ष्यों से जोड़ने के लिए प्रशिक्षण सत्रों और अधिगम वक्रों (अपनी गलतियों से सीखना) का आयोजन करते हैं। हालांकि, यह प्रकिया निर्बाध प्रतीत होती है, लेकिन क्रियान्वयन के दौरान यह कई चुनौतियां पेश करती है। संगठनों में प्रबंधन और कर्मचारियों के बीच जो सबसे बड़ा कारण है वह संवाद में बाधा का होना है।

करियर विकास योजना - चरण

इस अध्याय में हम कैरियर विकास और योजना प्रक्रिया में शामिल तत्वों के बारे में चर्चा करेंगे।

सामान्यतः करियर के निर्माण में दो कार्य शामिल हैं। −

  • उपलब्ध करियर के अवसरों के माध्यम से अपने भविष्य का निर्माण और

  • संगठन के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए संगठन कर्मचारी से आशा करना कि वह उस भरोसे को पूरा करेगा जो नियोक्ताओं ने उसके चयन के समय उसमें दिखाया था।

करियर योजना को उस प्रक्रिया के रूप में भी परिभाषित किया जा सकता है जिसमें कर्मचारी अपने संगठन में उपलब्ध अवसरों का उपयोग स्वयं के व्यक्तिगत लाभों को आगे बढ़ाने के लिए कर सकता है। लेकिन ठीक उसी समय, यह संगठनात्मक अनुपालन की सीमाओं के भीतर अच्छी तरह से होना चाहिए। इस मायने में, आदर्शतः कंपनी में शामिल होने से पहले करियर योजना शुरू करनी चाहिए।

करियर विकास योजना

करियर विकास योजना के पांच चरण

करियर योजना में पांच महत्वपूर्ण चरण शामिल हैं। वो हैं −

  • स्वयं का मूल्यांकन करना और शक्ति और अभिक्षमता के क्षेत्रों को पहचानना
  • अपनी योग्यताओं के अनुरूप करियर के अवसर तलाशना
  • निजी और पेशेवर जीवन में लक्ष्य निर्धारित करना
  • अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए क्रियाओं को नियोजित करना
  • प्रदर्शन का आवर्ती मूल्यांकन

आइए अब उपर्युक्त चरणों को विस्तार से देखें।

आत्म-मूल्यांकन

उचित कौशल के साथ, निजी हितों, अपनी प्राथमिकताओं, ताकतों और कमजोरियों की समीक्षा करने का कार्य स्वयं का मूल्यांकन करना है। ये समीक्षा संगठन में कर्मचारी के करियर विकास में अपने अवसरों की वास्तविक तस्वीर देख पाने में मदद करती हैं। मूल्यांकन उसे विशिष्ट कार्य विवरण और उन्नती के लिए आवश्यक कौशल समूह की एक पारदर्शी तस्वीर भी दिखाएगा।

हालांकि, यह अपने खुद के संगठन में विकास के अवसरों की खोज के लिए एक बहुत ही बढ़िया उपकरण है, नौकरी चाहने वाले इसका उपयोग मित्रों, परिवार और नौकरी मेलों में अवसर तलाशने के लिए कर सकते हैं। यह वास्तविकता जांच भविष्य के लिए लक्ष्यों को अंतिम रूप देने और उद्देश्यों काे निर्धारित करने में भी मदद करेगी।

करियर के अवसर तलाशना

करियर के अवसर तलाशना

आत्म-मूल्यांकन हो जाने के बाद, अगला चरण वास्तविकता की जांच करने के लिए है कि व्यक्ति के पास कौन-कौन से कौशल हैं और वे उसकी मदद कैसे कर सकते हैं। इस चरण में उम्मीदवार को एक विशिष्ट करियर तक पहुंचने के लिए उसके सभी चरणों को रेखांकित करने की आवश्यकता है। इसमें तकनीकी ज्ञान का जायजा लेना शामिल होता है कि क्या कोई नौकरी का अवसर पाने के लिए यह ज्ञान पर्याप्त है।

अगला महत्वपूर्ण उद्देश्य नेटवर्किंग है। उम्मीदवार को ढूँढना चाहिए कि यदि उसके संपर्क में कोई ऐसा व्यक्ति है जो उसको अवसर प्रदान कर सकता है, या इस तरह की कोई मदद कर सकता है। एक कार्यरत  पेशेवर अपने लक्ष्यों का यथार्थवादी मूल्यांकन करने में इस कदम का उपयोग कर सकता है कि क्या उसके लक्ष्य अभी भी अर्जित करने योग्य हैं और क्या कार्यस्थल में हुए सभी परिवर्तन उसके दृष्टिकोण को प्रभावित करते हैं।

अधिकांश संगठन कर्मचारियों का वार्षिक मूल्यांकन करते हैं जिसमें कई आत्म-मूल्यांकन प्रश्नावलियां होती हैं। यह वह जगह है जहां उम्मीदवार खुद को एक उचित अंक दे सकते हैं और प्रबंधन को यह साबित कर सकते हैं कि उन्होंने संगठन के विकास में कहां योगदान दिया है।

व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन में लक्ष्य निर्धारित करना

लक्ष्य निर्धारित करना

इस चरण में, उम्मीदवार अपने लिए उपलब्ध करियर के अवसरों की एक श्रृंखला की जांच करता है और निर्धारित करता है कि उसकी पसंद के काम में किस तरह के ज्ञान कौशल की आवश्यकता होगी। इस क्रम में, उम्मीदवार शोध करता है और कई स्रोत जैसे कि- मित्रों, सहकर्मियों से सूचना-इकट्ठा करता है और सर्वोत्तम तरीका ढूंढने की कोशिश करता है जो उसके लिए काम कर सके।

इस अवस्था में, कई संभावित नौकरी चाहने वाले नौकरी प्लेसमेंट केंद्रों में अपनी प्रोफाइल पोस्ट भी करते हैं, जो बदले में उन्हें वांछित योग्यताओं की एक सूची प्रदान करते हैं, जो नियोक्ता उम्मीदवार की प्रोफाइल में तलाश करते हैं। इसी तरह की स्थिति संगठन के अंदर भी मिलती है, जहां किसी खास स्थिति के लिए संभावित विकल्प के तौर पर अपने कौशल को निखारने के लिए कहा जाता है।

लक्ष्य निर्धारण

करियर नियोजन की प्रक्रिया में तीसरा चरण लक्ष्य का निर्धारण करना है, जहां एक व्यक्ति आत्म-मूल्यांकन के दौर से गुजरता है और किसी संगठन में अपनी दीर्घकालिक संभावनाओं को तय करने के लिए अपने करियर के अवसरों की जांच करता है। कामयाबी के लिए सभी विकल्पों को जांचना किसी भी उम्मीदवार के लिए महत्वपूर्ण है।

यह भी जरूरी है कि वह अपने व्यक्तिगत हितों, क्षमताओं और कौशल के अनुरूप अवसरों की खोज करे। संक्षेप में, उसके लक्ष्य विशिष्ट, सोचे-समझे, निर्धारित और पाने लायक होने चाहिए, ताकि वह इनका पीछा करते हुए अपनी सफलता का आकलन कर सके।

कार्य-योजना

कार्य-योजना

कार्य नियोजन में ऐसे कदम शामिल हैं जो लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए आवश्यक हैं जैसे कि अतिरिक्त प्रशिक्षण या कोई विशिष्ट प्रबंधकीय कौशल जो कोई अपनी वर्तमान या भावी स्थिति के लिए पाना चाहता है। इस क्रम में आमतौर पर संगठन में विभिन्न भूमिकाओं में काम कर रहे वरिष्ठ कर्मचारियों के साथ बहुत सारे संवाद होते हैं। चूंकि ये वरिष्ठ लोग ऐसे व्यक्ति हैं जो शेष लोगों के साथ अपनी जानकारी साझा कर सकते हैं और उन्हें काम के क्षेत्रों में विभिन्न गतिशीलता के बारे में सूचित कर सकते हैं।

प्रदर्शन का आवधिक मूल्यांकन

अंतिम चरण में कैरियर के लक्ष्यों की ओर बढ़ने में की गई प्रगति का मूल्यांकन करना चाहिए। लोगों की सफलता का मूल्यांकन करने से लोगों को अपनी प्रगति का ट्रैक रखने में और करियर योजना में खूबियों और कमियाें की पहचान करने में मदद मिलती है।

आत्म-मूल्यांकन की यह आदत लोगों को अपनी प्राथमिकताओं को सीमा में रखने और अपने कौशल को निरंतर प्रक्रिया के रूप में विकसित करने में सहायता करती है। कौशल एक दिन में विकसित नहीं होते इनके लिए निरंतर प्रयास करना पड़ता है। इसके अलावा, आत्म-मूल्यांकन कार्य क्षेत्र में विभिन्न कार्यकलापों में ज्ञान प्राप्त करने में सहायता करता है।

करियर के विभिन्न प्रकार

आज के भर्तियों के प्रतिस्पर्धी माहौल में संगठनों में श्रेष्ठ प्रतिभाओं को आजीवन करियर के लिये अपने साथ बनाए रखना बेहद मुश्किल हो रहा है। संगठनों के पुनर्गठन और विलय ने कर्मचारी को अपने करियर के लक्ष्यों में परिवर्तन करने और उन्हें प्राप्त करने का सुनहरा अवसर प्रदान किया है ।

परिवर्तनशील करियर

आजकल संगठनों ने अपने आपको अपने कर्मचारियों के लिए वन स्टॉप साॅल्यूशन प्रदाता के रूप में देखना छोड़ दिया है। वे एक बिजनेस हाउस में विकसित हो चुके है जो प्रेरित लोगों के लिए सीखने के अवसर प्रदान करता है जो उनको और अधिक मूल्यवान बनाता है ।

इन करियर को परिवर्तनशील करियर की संज्ञा दी गयी क्योंकि उम्मीदवार अब अपनी व्यक्तिगत जरूरतों के मद्देनजर समय-समय पर अपना करियर बदलता रहता है। इन परिवर्तनशील करियर की प्रमुख विशेषताएं पोर्टेबल कौशल, बहु-सांस्कृतिक कार्य अनुभव, नौकरी पर सीखना, और लगातार नेटवर्किंग हैं। परिवर्तशील करियर पारस्परिक सीख और एक संगठनात्मक संरचना में परिवर्तन को करियर में बदलाव को मुख्य कारक मानता है।

परिवर्तनशील करियर

आमतौर पर जब करियर निर्माण का जिक्र होता है तो लोग धीरे-धीरे और अधिक व्यक्तिगत दृष्टिकोण की ओर बढ़ते हैं। इसमें व्यक्तिपरक संज्ञायें जैसे - पदनाम, वेतन और दीर्घायु जैसों की जरुरत होती है। कर्मचारियों के जीवन में बेहतर कार्य-जीवन संतुलन की आवश्यकता के लिए इन कारकों ने व्यावसायिक जीवन में प्रवेश किया। वे अब अपने पेशेवर जीवन में अधिक से अधिक संतुलन और अपनी व्यक्तिगत ज़रूरतों की पूर्ति करना चाहते हैं। वे अब अपने परिवार के साथ समय बिताने के मूल्य को समझ गए हैं।

घुमावदार करियर

आज, कई व्यक्तिगत और पर्यावरणीय मानकों के कारण कर्मचारियों के करियर बदल रहे हैं। भिन्न-भिन्न व्यवहार और करियर लक्ष्य करियर परिवर्तन के मुख्य कारण हैं। उदाहरण के लिए, जो व्यक्ति अत्यधिक रचनात्मक है वह हमेशा अपने व्यक्तिगत कौशल विकसित करना चाहेगा, तो वे क्रॉस-फंक्शनल करियर विकल्प देखने के लिए अधिक इच्छुक होंगे।

घुमावदार करियर

इसी प्रकार, जो लोग शक्ति और उपलब्धि से प्रेरित होते हैं, वे पदानुक्रम उन्नति प्राप्त करने के लिए तत्पर होंगे। हाल के वर्षों तक यह करियर विकास का एक प्रमुख मॉडल था। लेकिन अब, कारोबार के बाहरी माहौल में हुए बदलावों ने संगठनों के आंतरिक कार्यकलापों की संरचना में भी बदलाव किए हैं।

यही कारण है कि लोग अब लिनियर करियर में बदलाव की तरफ ध्यान नहीं दे रहे हैं, जिसका अवलोकन एक स्थिर और उच्च-संरचित कार्य वातावरण में किया गया है, लेकिन यह एक अधिक ऑर्गैनिक और अनुकूली, स्पाइरल करियर पैटर्न है।

उद्योग विशेषज्ञ क्या कहते हैं?

उद्योग विशेषज्ञ

आलरेड, स्नाॅ और माइल्स जैसे उद्योग विशेषज्ञों ने लंबे समय से व्यक्तिगत वृद्धि और करियर परिवर्तनों के बीच जुड़ाव का अवलोकन और उल्लेख किया है। वे कहते हैं कि पहले सिलाे-लाइक कार्य-पद्घति की तुलना में  संगठनों ने अब एक और अधिक नेटवर्क-उन्मुख तरीके को अपनाना शुरु किया है ।

यह किसी कार्य में तालमेल बैठाने के लिए एक मजबूत रिश्ता बनाने और वैश्विक व्यापारिक प्रतिस्पर्धा के तीव्र दबाव को पूरा करने कहने का परिणाम है ।

ये विद्वान जोरदार तरीके से कहते हैं कि किसी व्यक्ति को अपने करियर में सफल होने के लिए जो कौशल के एक समूह की जरूरत होती है वह संगठनों की संरचना पर निर्भर करता है। यदि संगठनात्मक ढांचा नए बाजारों में प्रवेश करने को बढ़वा देतो है तो वह निश्चित रूप से नई चीजें सीखने में सफल होगा।

सामयिक करियर

संगठन आशा करते हैं कि उनके कर्मचारी बाकी सभी से प्रतिस्पर्धा करने के लिए सभी आवश्यक तकनीकी कौशल से युक्त हो। लेकिन साथ ही, आज के कार्यबल में जो परिवर्तन आये हैं वे कर्मचारियों को संतुष्ट होने की अनुमति देते हैं । जिन कर्मचारियों के पास जोरदार अंतर्वैयक्तिक कौशल और सहयोगात्मक प्रवृत्ति है वे किसी भी अंतर-विभागीय शैली में सरलता से अपना अस्तित्व बना सकने के योग्य होते हैं।

जब किसी कार्यात्मक रूप से संगठित संस्था में पर्याप्त तकनीकी कौशल हों, तो जिन को कल की सेलुलर कंपनियों में सफल होना हैं उन्हें व्यावसायिक सहयोगी और स्व-प्रशासन कौशल में भी सक्षम होना चाहिए। करियर योजनाकार संगठनों में नए कामकाज मॉडल के अनुकूल ढलने वाले होते हैं, ताकि वे विभिन्न प्लेटफार्मों से सीख सकें और संपूर्ण करियर में सुधार ला सकें।

सामयिक करियर

संगठनात्मक विकास के लिए काम करते समय व्यक्तिगत विकास का विचार मूल रूप से एक दूसरे से अलग नहीं है। वे पूरी तरह से सतत् हैं और इन्हें साथ में चलाया जा सकता है। पहले, यदि किसी संगठन के कर्मचारी नई चीजें सीख जाते थे तो उनके नियोक्ता यह सोचकर असुक्षित महसूस करने लगते थे कि वे काम छोड़कर जा सकते हैं । लेकिन आज के कारोबारी परिदृश्य में कंपनियां चाहती है कि उनके कर्मचारी को नए-नए कौशल पर काम करें और किसी भी अचानक बदलाव का सामना करने के लिए तैयार रहें। इसने जिस तरह से लोग आजकल अपने करियर का प्रबंधन करते हैं उसे बदल कर रख दिया है।

पहले वे एक विशेष कौशल क्षेत्र में अपनी क्षमताओं को विकसित करने की कोशिश में खुशी महसूस करत थे, लेकिन अब उन्होंने एक और व्यापक परिधीय विकास ढांचे में काम करना शुरू कर दिया है जिसमें वे कौशल भी शामिल है जो उनके प्राथमिक कौशल को पूरक बनाते हैं।

करियर योजना पर प्रौद्योगिकी का प्रभाव

लोग करियर नियोजन पर तकनीक के प्रभाव को केवल उन लोगों तक सीमित करके देखते हैं जो इंटरनेट का इस्तेमाल केवल नौकरियों को खोजने के लिए करते हैं। हालांकि यह करियर नियोजन में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि टेक्नॉलजी कर्मचारियों के जीवन में केवल एक ही बदलाव लायी है। टेक्नॉलजी के क्षेत्र में प्रगति के कारण, कर्मचारी अब विभिन्न ऑनलाइन प्लेटफार्मों और पोर्टलों के माध्यम से अपने कौशल-संग्रह का स्वयं-आकलन करने का बीड़ा उठा सकते हैं।

कर्मचारी जिनको विशेष क्षेत्रों में बेहतरीन प्रोफाइल बनाने की आवश्यकता है वे अब और स्पष्ट अनुमान लगा सकते हैं। इससे नियोक्ताओं पर उनकी निर्भरता कम हो जाती है और तात्कालिक पर्यवेक्षक प्रदर्शन की समीक्षा के रूप में उनके प्रदर्शन का फीडबैक लेते हैं। इन कर्मचारियों को परार्मश प्राप्त करने के लिए और अपने प्रश्नों के उत्तर के लिए परार्मशदाता या मानव संसाधन विभाग पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं पड़ती है।

प्रदर्शन की समीक्षा

व्यापक स्तर पर इंटरनेट द्वारा प्रदान की जाने वाली इन्टरकनेक्टिविटी के कारण ही यह सब संभव है और उसका उपयोग करके ये कर्मचारी नए कार्यक्रमों और पाठ्यक्रमों को सीखने के लिए साइन अप कर सकते हैं और इसके जरिए वे अपने रिज़्यूम में नई योग्यताएं जोड़ सकते हैं। इसके अतिरिक्त, कई संस्थाओं ने अपने अनुकूल समय के दौरान कर्मचारियों को उनकी दक्षता में सुधार के लिए ऑनलाइन मॉड्यूल के माध्यम से आंतरिक प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया है।

कनेक्टिविटी लोगों को विभिन्न विभागों से जुड़ने में भी मदद करती है, जो समग्र दक्षता और समय का उपयोग बढ़ाती है। पहले की तरह डेस्क पर जाकर प्रश्न पूछने की पद्धति के विपरीत कर्मचारी अब आसानी से मेल और मेसेंजर पर अपने प्रश्नों के उत्तर पा सकते हैं। जब आप किसी परेशानी में होते हैं तो सिर्फ एक संरक्षक के बजाय अब ऐसे कई लोग हैं जो आपकी परेशानी को हल करने में सहायता कर सकते हैं।

करियर को एक ऑर्गैनिक विकास देना

तकनीकी प्रगति ने निश्चित तौर पर कई संगठनों को उचित रूप से समय प्रबंधन करने में मदद की है। लेकिन, नकारात्मक पक्ष यह है कि प्रशिक्षण सत्र को नियंत्रित करने के लिए किसी भी प्रशिक्षक के बिना प्रौद्योगिकी उपलब्ध कराने से अव्यवस्था और भ्रम पैदा हो जाएगा। पूरी तरह से स्वचालित या यह खुद करें उपलब्ध ऑनलाइन अभ्यास ज्यादा कुछ कर नहीं पाए। यह इस लिए क्योंकि मशीनों के साथ मूल्यांकन चरण छोड़ने का विकल्प हमेशा बना रहता है। जबकि एक प्रशिक्षक आपकी प्रगति और सुधार की गणना करने के लिए आपकी जांच करता रहेगा।

इससे पहले, संगठन एक व्यक्ति के करियर विकास के लिए जिम्मेदार होते थे, लेकिन अब जिम्मेदारी खुद कर्मचारी पर आ गयी है। ऐसे माहौल में करियर के लीनिअर विकास को हासिल करना बेहद मुश्किल होता है। इसलिए, उद्योग विशेषज्ञ अब काम करने के लिए एक और अधिक ऑर्गैनिक, व्यक्तिगत और पसंदीदा-संचालित दृष्टिकोण की सलाह देते हैं। रोजगार संतुष्टि सफलता का नया मंत्र बन गया है।

करियर विकास मंत्र

निम्नलिखित बिंदु कैरियर विकास मंत्र की रूपरेखा तैयार करते है। −

  • अपनी खूबियों का इस्तेमाल करते हुुए अपने आप को एक बेहतर कर्मचारी और प्रर्दशक में बदलें।
  • अपने विभाग के बाहर के लोगों को शामिल करने के लिए अपने पेशेवर नेटर्वक को बढ़ाएं।
  • अपने कौशल का आकलन करते हुए मौजूदा नौकरी के परिदृश्य में उनकी प्रासंगिकता और मूल्य दृष्टिगत करें।
  • अपने प्राथमिक कौशल को सुधारने और उन्हें पूरा करने के लिए नए कौशल सीखें।
  • नौकरी के परिदृश्य में बदलाव के लिए लचीला और नौकरी के परिदृश्य के अनुकूल होना चाहिए।

अंतिम बिंदु विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। कर्मचारी अक्सर यह गलत धारण बना बैठते हैं कि उनकी ताकत संपूर्ण है। हालांकि, काम के माहौल में थोड़ा बदलाव भी उनकी ताकत को अनुपयोगी या अप्रासंगिक कौशल में परिवर्तित कर सकता है। इसलिए जो कौशल कर्मचारी पहले से उपयोग कर रहा है उसके अनुरूप जो नये कौशल सीखे जा सकते हैं उनकी वास्तविक जांच करना आवश्यक है ताकि बाजार के भावी बदलावों के लिए कर्मचारी तैयार किया जा सके।

संगठनात्मक करियर प्रबंधन

संगठनात्मक करियर प्रबंधन

कर्मचारियों को अपने करियर का विकास करने के लिए स्वयं जिम्मेदार माना जा रहा है फिर भी कई संगठन अभी भी व्यक्तिगत प्रयासों को प्रोत्साहित करने में शामिल होना चाहते हैं। यह विशेष रूप से उच्च शिक्षा, रचनात्मक सोच, अभिनव दृष्टि के क्षेत्र में है और कारोबारी माहौल के अनुरूप लचीला होने में सक्षम है।

कई संगठन एक कदम आगे चले गये हैं और सलाह देने, संगठनात्मक अंतरसंचार को सुगम बनाने, कॉरपोरेट दायित्वों की व्याख्या करने जैसे अन्य विकल्प उपलब्ध करा रहे हैं। इन कार्यक्रमों ने कर्मचारियों में अधिक प्रतिबद्धता और संतुष्टि की एक विराट भावना उत्पन्न की है।

संगठन अपने कार्यबल का प्रबंधन कैसे करते हैं

संगठन का प्रबंधन

संगठन यह भी समझते हैं कि जब वे बेहद प्रेरित और रचनात्मक लोगों की भर्ती करते हैं। एक बार कर्मचारी बनने के बाद, वे संगठन को न केवल सीखने की जगह के रूप में देखेंगे बल्कि उसे अपने निजी विकास के रूप में भी इस्तेमाल करेंगे। यदि वे अपनी वर्तमान कंपनी को विकास या वृद्धि की दिशा में नहीं देखते हैं तो इन लोगों को रोजगार के वैकल्पिक स्रोतों को ढूँढने में परेशानी नहीं होगी।

अपने कार्यबल से प्रतिभा पलायन को रोकने के लिए संगठनों ने अब उन तरीकों पर पर्याप्त ध्यान देना शुरू कर दिया है जिनमें लोग प्रेरणा की तलाश कर रहे हैं। चूँकी व्यापार से सभी प्रकार की सूचनाएँ आ रही हैं, संगठनों ने सभी कर्मचारियों को एक जैसे समाधान सुझाने बंद कर दिये हैं।

संगठनों ने अब यह जान लिया है कि कर्मचारियों की दिलचस्पी रैखिक पदानुक्रमित वृद्धि की संभावना के बजाय स्वयंसेवा, मनोवैज्ञानिक सफलता में काम करने में अधिक है। इसका कारण यह है कि कोई संगठन अब एक समरूप काम करने वाले माहौल बनाने का दावा नहीं कर सकता है जो कि उम्मीदवारों को लंबी अवधि के लिए एक जैसे काम की जिम्मेदारी को सुनिश्चित कर सके।

करियर में उन्नति के लिए संगठनात्मक आवश्यकताएं

कर्मचारी प्रेरणा में प्रेरक बल के रूप में व्यक्तिगत उन्नति ने करियर उन्नति की जगह ले ली है। जिस तरह से लोग अपने करियर के बारे में सोचते हैं, उसने इन महत्वपूर्ण बिंदुओं पर प्रकाश डाला है। −

  • शक्तियां दिखाने के रास्ते तलाशना
  • कार्य जो उन्हें चुनौतियां प्रदान करते हैं।
  • स्वभाव के अनुरूप कार्य
  • विकास की जरूरतों का संबोधन
  • रूचि के अनुरूप कार्य
  • मूल्यों के अनुरूप कार्य

संगठनात्मक जरूरतें

हाल के वर्षों में करियर प्रबंधन में एक महत्वपूर्ण बदलाव आया है, जहां एक कर्मचारी अपने निकटतम पर्यवेक्षक से सभी निर्देश प्राप्त करता है। संगठन अब अपने मिशन और दूरदर्शिता के लिए केवल अपने बोर्ड पर निर्भर रहते हैं। कर्मचारी प्रबंधन जैसे शेष सभी महत्त्वपूर्ण दायित्व पर्यवेक्षकों को दिए गए हैं। ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि ऐसे भिन्न मामले केवल उन व्यक्तियों को ही सौंपे जाते हैं जिन्होंने इन कर्मचारियों के साथ काम किया है।

संगठनात्मक जरूरतें

आज के गतिशील काम के माहौल में कर्मचारी अन्य लोगों के साथ अपने कामकाजी संबंधों और अंतर्वैयक्तिक कौशल से विकास के अवसर पाते हैं। यह परंपरागत परिदृश्य के विपरीत है, जहां उच्च प्रबंधन से लोगों का एक समूह केंद्रीय निर्णय लेता था, और एक याेग्य व्यक्ति को विकास के अवसर लम्बी बैठकें और प्रबंधन संबंधी शिक्षाओं के बाद दिये जाते थे।

आपात मुद्दे जिनका पर्यवेक्षक सामना करते हैं।

चूंकि पर्यवेक्षकों से अधिक से अधिक से आशा की जा रही है कि वे प्रबंधकीय निर्णय लेंगे, संगठन में कैरियर प्रबंधन काउंसलर की भूमिका अनावश्यक हो गई है। हालांकि, कर्मचारियों को कैसे प्रेरित करें और अंतर्वैयक्तिक कौशल सीखने के लिए पर्यवेक्षकों को प्रशिक्षण लेने की आवश्यकता है।

जैसा कि कम्पनी उनसे आशा करती है कि एक बार जब पर्यवेक्षक लोगों के प्रतिनिधि बन जाते हैं तो वे कम्पनी के उन आपात मुद्दों को संबोधित करने में सक्षम हो जायेंगे जिनका कम्पनी निकट भविष्य में सामना कर सकती है। उनमें से कुछ मुद्दे नीचे दिये गये हैं। −

  • अगले तीन सालों के कई रणनीतिक मुद्दे जिनका संगठन सामना कर रहे हैं।
  • संगठनों के अगले तीन वर्षों की सबसे अहम जरूरतें और चुनौतियां।
  • इन चुनौतियों का सामना करने के लिए आवश्यक आलोचनात्मक कौशल और ज्ञान।
  • इसके लिए आवश्यक कर्मचारी क्षमता और योग्यता
  • मुद्दों का समाधान करने के लिए प्रबंधन की क्षमता

अगले अध्याय में हम चर्चा करेंगे कि सलाह कैसे एक प्रभावी उपकरण हो सकती है।

एक प्रभावी उपकरण के तौर पर मेंटरिंग

एक कर्मचारी में लगातार सुधार लाने के लिए मेंटरिंग सबसे प्रभावी तरीकों में से एक है। यह उन प्रतिभावान लोगों को अनौपचारिक मार्गदर्शन और प्रोत्साहन प्रदान करने की विधि का उपयोग करता है, जो स्वयं को अपनी वास्तविक क्षमता का एहसास कराने के लिए पर्याप्त रूप से प्रेरित नहीं होते हैं।

मेंटर कैसे कर्मचारियों की व्यक्तिगत तौर पर मदद करते है

मेंटर आम तौर पर ऐसे लोग होते हैं जो तत्कालिक पर्यवेक्षक की तुलना में ऊंचे पदक्रम से आते हैं। यह मेंटर इन उम्मीदवारों को अपनी निगरानी में प्रशिक्षित करते हैं और उन्हें समय-समय पर परामर्श प्रदान करते हैं। यह आपसी व्यक्तिगत रिश्ता कर्मचारियों के मन में विश्वास और सम्मान बनाता है और उन्हें आत्मविश्वास देता हैं।

इस व्यवस्था के कारण वे मेंटर से मार्ग दर्शन पाते हैं और नतीजतन अपने करियर में बहुत सी सफलता हासिल करते हैं। वे अंतर्दृष्टि की भावना विकसित करते हैं और कंपनी की परिकल्पना और लक्ष्यों को समझते हैं। वे संगठन के भीतर विभिन्न नेटवर्कों के बारे में भी जागरूक हो जाते हैं। इन दिग्गजों के नेतृत्व में वे (कर्मचारी) नए अवसर प्राप्त करने की इच्छा महसूस करते हैं।

मेंटर कर्मचारियों की व्यक्तिगत तौर पर मदद करते है

मेंटर संगठनों की मदद कैसे करते हैं

संगठन इस मेंटर-मेंटी (mentor-mentee) संबंध से भी लाभांवित होते हैं क्योंकि इन्हें ऑन-जॉब प्रशिक्षण के लिए भुगतान नहीं करना पड़ता है। वे यह भी दावा कर सकते हैं कि वे अपने कर्मचारियों के करियर विकास पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। मेंटर कर्मचारियों के साथ बातचीत से अपने आप में सुधार करते हुए अपने अंतर्वैयक्तिक कौशल और तकनीकी ज्ञान का लाभ उठाते हैं।

सामान्य तौर पर लोग मेंटरिंग को सूचना वितरण का एक-तरफा संचार आधारित मॉडल समझने लगते हैं। हालांकि, सच्चाई यह है कि जिन व्यक्तियों ने अपने रोजगार के शुरुआती चरणों में मेंटर से सलाह ली थी वे अपने प्रतिक्रिया सत्रों में सबसे अधिक ग्रहणशील रहे हैं। नई प्रतिभा का सामना करते वक्त वे और अधिक धैर्यवान दिखते हैं। यह सब इसलिए है क्योंकि वे अपने मेंटर के साथ परस्पर पूछताछ और राय साझा करकेे निरंतर संवाद बनाये रखते हैं।

कटौती और छंटनी

कटौती स्थायी छंटनी या कार्यबल में कमी को दर्शाती है। 1980 के दशक में लगभग 600,000 प्रबंधकों की नौकरियां गईं। −

  • संगठनात्मक पुनर्गठन
  • रिइंजीनियरिंग
  • डीलेयरिंग
  • आर्थिक गिरावट

कभी-कभी कम्पनियों में निवेश की माात्रा कम करने और विलय से भी नौकरियां चली जाती हैं। सामान्यतः कंपनियां कर्मचारियों को आउटप्लेसमेन्ट और परामर्श सेवा प्रदान करके जॉब से निकाले जाने की समस्या से निजात दिलाने मेंं मदद करती हैं। इन सेवाओं में नौकरी खोजने का प्रशिक्षण, कौशल मूल्यांकन, रिज़्यूम लेखन और यहां तक कि वेतन वार्ता सेवाएं भी शामिल हैं।

सबसे महत्वपूर्ण बिंदु जिसकी ज्यादातर कंपनियां अपनी-अपनी कंपनियों का आकार घटाते समय अनदेखी करती हैं वह यह कि वे अपने कर्मचारियों के साथ स्पष्ट और लगातार बातचीत नही करतीं जिनके साथ वे भविष्य में काम करना चाहती हैं। इन लोगों को कमजोर संस्था के साथ इनके मौजूदा करियर की संभावनाओं से संबंधित सामयिक और सटीक जानकारी देना महत्वपूर्ण है।

छंटनी के अव्यक्त खतरे

मुनाफे में बढ़ोतरी के लिए छंटनी की जाती है, लेकिन केवल कर्मचारियों को कम करने से ही लाभ नहीं मिलता। वेन काओस रिसर्च के मुताबिक, जो कंपनियां कर्मचारियों और अन्य परिसंपत्तियों का विस्तार करके नए राजस्व का उत्पादन करती हैं, वे उन कम्पनियाें की तुलना में अधिक लाभ कमाती हैं जो छंटनी रणनीति का पालन करती हैं। लेकिन, अस्थायी श्रमिकों की ओर दृष्टिपात करने से हमारे सामने यह सवाल आता है कि 21वीं शताब्दी में इन कर्मचारियों के करियर का प्रबंधन करने का सबसे अच्छा तरीका क्या है। यदि अस्थायी कर्मचारी पूर्ण रूप से कुशल या अपने काम के प्रति जिम्मेदार नहीं हैं तो कंपनियों द्वारा दिये जाने वाले कई तरह के लाभ जैसे न्यूनतम श्रम लागत अथवा कर्मचारियों के लचीलेपन में बढ़ोत्तरी इत्यादि थोड़े ट्रिकी हो सकते हैं।

इसके अलावा,अगर अस्थायी श्रमिक, अपने श्रमिक समूह में उप्तादनशील नहीं रहते हैं तो कुशल व्यक्ति को दिये जाने वाले लाभ जैसे काम का नेचर और व्यक्तिगत विकास कम्पनी को हानि की ओर ले जा सकते हैं।

कार्य उत्पादन के लिए टीमों का इस्तेमाल

मूल कर्मचारियों के संदर्भ में ध्यान देने वाली बात यह है कि कार्यबल का विलय कई तरह की समस्याओं को जन्म दे सकता है जैसे −

  • संघर्ष
  • सामाजिक बहिष्करण और
  • जॉब अस्थिरता

जब लोग एक टीम के रूप में काम करना शुरू करते हैं, तो किसी एक व्यक्ति के कार्य का मूल्यांकन कर पाना मुश्किल हो जाता है। जब इस्तेमाल किया जाने वाला कौशल ठीक से परिभाषित नहीं होता है, तो वांछित कौशल की प्राप्ति के लिए व्यक्तिगत उद्देश्यों का विकास निर्धारित करना एक कर्मचारी के लिए मुश्किल हो जाता है। शोधकर्ता क्लैनी और वन्क ने प्रस्तावित किया कि इस मुद्दे का समाधान सामान्य-पर-महत्वपूर्ण तुलनात्मक कौशल पर ध्यान केंद्रित करना है जो एक टीम के रूप में काम करना उपलब्ध करा सकता है।

कंपनियां अपना आकार क्यों छोटा करती हैं?

एक कंपनी प्रतिस्पर्धी दबाव के कारण अपना आकार कम करने के विकल्प की ओर बढ़ती है, लेकिन 1990 के दशक के अंत में इसे हर समय की रणनीति के रूप में इस्तेमाल किया गया था। इस दशक के दौरान, कंपनियां स्थायी कर्मचारियों या कह सकते हैं कि मूल कर्मचारियों की संख्या कम करने लगीं और उनको अस्थायी या अंशकालिक कर्मचारियों में बदलने लगीं।

यह अतिरिक्त आउटसोर्सिंग और ऑफ़-शोरिंग के कारण निरंतर वैश्विक दबाव का नतीजा था। अब हालात बदल चुके हैं, आजकल कंपनियां अपने मूल कर्मचारियों के साथ काम करना चाहती हैं और केवल कुछ विशिष्ट कार्यों के लिए सीमित लोगों की भर्ती कर रही हैं। इसलिए, मूलतः इसका मतलब है कि छोटी कंपनियों में करियर के अवसर कम हैं और अंतर-कंपनी गतिशीलता व्यापक रूप से करियर विकास के एक रूप में स्वीकार की जा रही है।

विविधतापूर्ण कार्यबल का प्रबंधन

साल 2014 तक श्रमबल के सभी नए प्रवेशकों में लगभग 58% अल्पसंख्यक और महिलाएं थीं, पुरुष कर्मचारियों का हिस्सा 44% था। यदि हम इतिहास पर नजर डालते हैं, तो हम देख सकते हैं कि कैसे कुछ संरक्षित समूहों ने रोजगार के समान अवसरों और निश्चयात्मक कार्रवाई कानून सुनिश्चित किया जिसकी वजह से नियुक्ति और विकास में तेजी आई।

वर्तमान में श्रम बाजार नया व्यापक कार्यबल बन गया है; समानता और निष्पक्ष व्यवहार के मुद्दों ने विविध प्रबंधन की जिम्मेदारी बढ़ाई है। हालांकि, खुद समूह के सदस्यों में भी कुछ पुरानी रूढ़िवादी सोच के चलते महिलाओं और अल्पसंख्यकों के लिए कुछ निश्चित भूमिकाओं को जोड़ कर देखा जा रहा है, इसलिए वे प्रबंधन में अपने आंदोलन को गति देने में सक्षम नहीं हो पा रहे हैं।

वरिष्ठ स्तर तक पहुँचने से पहले कुछ ठहराव के बाद अक्सर यह देखा जाता है कि कैसे महिलाएं और अल्पसंख्यक प्रबंधन के सोपान चढ़ सकते हैं। हालांकि, इस पूर्वाग्रह के पीछे के कारण को पूरी तरह से समझा नहीं गया है, लेकिन हम जो कर सकते हैं वह यह कि इन व्यक्तियों के लिए उचित प्रशिक्षण और विकास काे ध्यान में रखें और उनकी विशेष जरूरतों का संज्ञान लें।

पूर्वाग्रहग्रस्त मानसिकता

उच्च स्तर के प्रबंधन में अत्यधिक व्यक्तिपरक व्यवहार के कारण पूर्वाग्रह उपज सकता। चूंकि सभी उम्मीदवार सुयोग्य होते हैं, चयन अक्सर पारस्परिक कौशल और सहूलियत पर आधारित होता है। खासकर शीर्ष पर रहने वाले लोग नहीं चाहते कि दूसरे भी महत्वपूर्ण जिम्मेदारियोंं का निर्वाह करें।

पूर्वाग्रहग्रस्त मानसिकता

दूसरा प्रस्तावित कारण यह है कि महिलाओं और अल्पसंख्यकों को विकास का रास्ता तय करते समय आसान व कम चुनौतीपूर्ण कार्य दिये जाते हैं। आम तौर पर उन्हें उत्पादन इकाइयों और साहसिक उद्यमों में पदों के बजाय सार्वजनिक संबंध या मानव संसाधन से संबंधित कार्य दिए जाते हैं।

कार्यस्थल विविधता के लिए वैकल्पिक तर्क

एक अन्य तर्क जो कि अक्सर कार्यस्थल विविधता पर उद्धृत किया जाता है वह यह कि कुछ लोग समूह में सहज महसूस नहीं करते या उनके पास अॉफिस की ताज़ा खबर नहीं होती है, जिसके कारण वे पिछड़ जाते हैं। जबकि जो लोग ऑफिस की राजनीति में थोड़ी दिलचस्पी दिखाते हैं और चिट चैट करते हैं, वे हमेशा आगामी पदोन्नति के अवसरों के बारे में अपडेट रहते हैं, और आमतौर पर जब तक कर्मचारी नहीं चुन लिये जाते, दूसरोें को इसके बारे में पता नहीं चल पाता है।

साथ ही, कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो कुछ समूह बना लेते हैं या वे बाकी लोगों को अपने से अलग-थलग महसूस कराते हैं और दूसरों के साथ कभी मिलजुल कर नहीं रहते। यहां सकारात्मक बात यह है कि हर संगठन में लोग मौजूदा संगठन की संस्कृति को बदलने या उससे समझौता करने की कोशिश करते हैं, जो उन्हें सशक्त और प्रोत्साहित महसूस कराती है। इस प्रकार के व्यवहार को स्वीकार करने वाली कंपनियां सबसे अधिक मुनाफा देती हैं।

अलग-अलग कंपनियां पूर्वाग्रह तोड़ने के भिन्न-भिन्न समाधान ले कर आती हैं। अधिकतर वे सशक्त निश्चयात्मक कार्रवाही सहित सभी प्रबंधकों के लिए सांस्कृतिक संवेदनशीलता प्रशिक्षण के माध्यम से प्रचार की गति को बढ़ाने की कोशिश करती हैं, जो निम्नलिखित हैं −

  • पर्यवेक्षकों के प्रदर्शन के उद्देश्य।
  • औपचारिक परामर्श कार्यक्रम का आयोजन।
  • समूह के भीतर समर्थन तंत्र को प्रेरित करना।
  • कुछ कर्मचारियों की करियर योजना के संबंध में मदद करना।

हालांकि, इन तरीकों के परिणाम अभी तक खोजे जाने हैं।

निम्नलिखित सारणी में बारह रणनीतियां शामिल हैं, जिनका प्रयोग नियोजक पूर्वाग्रह के मुद्दे को सुलझाने के लिए कर सकते हैं, जैसा कि व्यवसाय में अग्रसर महिलाओं की भागीदारी बढा़ने के लिए काम रही एक शोध और सलाहकार संस्था केेटलिस्ट ने अपने निष्कर्ष में कहा।

महिलाओं की प्रगति मापें। महिलाओं को बढ़ावा दें।
महिलाओं को महत्वपूर्ण पद दें। महिलाओं को गैर पारंपरिक कार्य में लाएं।
महिलाओं को मेंटर उपलब्ध कराएं। पेशेवर कंपनियों में महिलाओं को बढ़ावा दें।
महिला तंत्र बनाएं। विशिष्ट रूप से निर्मित करियर नियोजन का समर्थन करें।
सांस्कृतिक बदलाव लाएं। कार्य को लचीला बनाएं।
महिलाओं की प्रगति मापें। महिलाओं को बढ़ावा देना।

इनमें से कुछ प्रस्ताव वांंछित संगठनात्मक करियर प्रबंधन के पास जाते हैं। यह मौजूदा करियर पथ विभाजन का चयन करते हुए शुरू होता है और फिर अपेक्षाकृत महत्वपूर्ण पदों या प्रगतिशील कार्यों के माध्यम से, जो पहले बहुमत वाले उम्मीदवारों को दिये गये थे, उच्च संभाव्य को पुनर्वितरित कर दिया जाता है।

करियर विकास उत्तराधिकार योजना

करियर विकास कार्यक्रमों में दिलचस्पी रखने वाली कंपनियां व्यापार चक्र और श्रम बाजार में उतार-चढ़ाव पर निर्भर करती हैं। जब श्रमशक्ति, कौशल आदि की कमी होती है, तो फर्में उनकी अवधारणा और भर्ती रणनीतियों के लिए करियर विकास कार्यक्रम शामिल करती हैं। लेकिन, जब व्यापार में कोई नुकसान होता है, तो भर्ती नहीं की जाती। बड़ी कंपनिया सबसे पहले आंतरिक स्टाफिंग और करियर विकास के लिए नवीनतम तकनीक का लाभ उठाती हैं।

कंपनियाँ आजकल जैसे-जैसे अधिक डाटा-केंद्रित हो रहीं है तो बाहर देखने से पहले वे अपना डेटाबेस चेक करती हैं और क्षमता के लिए आंतरिक एचआर डेटा खंगालती हैं।

करियर विकास कार्यक्रम

अंत में, फर्म को लागत में कटौती करनी चाहिए, इसलिए अब करियर विकास कार्यक्रमों के उद्देश्य पर सवाल उठाने शुरू किये हैं। इन कार्यक्रमों के दौरान इनको बनाए रखने के लिए बहुत से समझदारी से व्यापारिक देखभाल की आवश्यकता है। लेकिन बुरे दौर में भी, उच्च क्षमता वाले समूह करियर के विकास का ध्यान आकर्षित करते हैं, दिलचस्प हिस्सा यह है कि उच्च क्षमता को चयनित करने का तरीका बदल दिया गया है।

उत्तराधिकार योजना प्रक्रिया

इससे पहले एक अनौपचारिक प्रक्रिया या कठोर औपचारिक मूल्यांकन केंद्र रेटिंग कुछ मोर्चों पर विकास के लिए एक लाभप्रद मानी जाती थी, जो जल्द ही अगले 20 वर्षों में अपने करियर को विकसित करने के लिए पर्याप्त होगा। 21वीं शताब्दी के अत्यधिक प्रतिस्पर्धी माहौल में इस दृष्टिकोण वाले मुद्दे स्पष्ट रूप से देखे गए।

जब संगठन रणनीति जिसका सालों से अनुपालन किया जा रहा था, रात भर में बदल जाती है, तो हो सकता है कि पूरी तरह से प्रशिक्षित सीइओ पुराणी रणनीति के लिए पहली पसंद न हो, क्योंकि इस तरह नए बदलाव के लिए कंपनियां अब उत्तराधिकार की योजना बना रही हैं। वृहत्तर प्रतिभा पूल को आयोजित करने के लिए उन्होंने अपनी उच्च क्षमता की परिभाषाओं का विस्तार किया है जिसका संगठन उचित समय पर चुनाव कर सकेगा।

वैश्विक माहौल में करियर

जैसे ही रिक्तियों की घोषणा की जाती है तो यह पूल अत्यधिक प्रतिभाशाली लोगों से भर जाता। यह मुख्यतः एचआरआईएस प्रौद्योगिकी के प्रभाव के कारण है, जो कहता है −

“किसी भी रिक्ति के लिए, बड़ी संख्या में कम्पनी में काम कर रहे उम्मीदवारों के साथ, पूल प्रोग्राम स्किल अनिवार्य है, और किसी भी आकार की फर्मों द्वारा जारी की गई रिक्ति उम्मीदवारों से मेल खानी चाहिए।”

पहले जब प्रबंधकों को कुछ परियोजनाओं पर विदेश भेजा जाता था तो ऐसा लगता था कि उनका करियर जैसे निष्कासन में भेज दिया गया हो। माना कि यह पूरी तरह खत्म नहीं हुआ लेकिन आज यह शीर्ष की तरफ एक कदम की तरह है।

मुख्यतः यह परिवर्तन स्पष्ट रूप से ग्लोबल बिजनेस माहौल के बढ़ने की वजह से आया है। बड़ी कंपनियाें ने सबसे पहले इन्टर्नल स्टाफिंग और करियर विकास के लिए नवीनतम तकनीक का लाभ उठाया। आजकल कंपनियां जैसे-जैसे अधिक डाटा-केंद्रित होती जा रही हैं, तो वे बाहर तलाशने से पहले अपना डेटाबेस जांचते हैं, और संभाव्य के लिए आंतरिक एचआर डाटा खंगालते हैं।

ग्लोबल बिजनेस माहौल

उच्च योग्य बहुराष्ट्रीय प्रबंधकों की नई मांग ने अंतर्राष्ट्रीय करियर प्रबंधन में कई नए सिद्धांतों को जन्म दिया है। जो निम्नानुसार हैं −

  • वो कर्मचारी जिनको कैरियर में फायदा होगा और जो अपने ज्ञान से संगठनों को योगदान देने के इच्छुक हैं, उनको चुना जाना चाहिए।

  • चयनित कर्मचारियों को केवल अंतरराष्ट्रीय कार्यों के लिए तैयार किया जाना चाहिए। पूर्व प्रस्थान प्रशिक्षण आवश्यक विशेषज्ञता के साथ सामाजिक जीवन, राजनीतिक माहौल, धर्म और भाषा पार-सांस्कृतिक विविधता पर केंद्रित होनी चाहिए।

  • विदेशी अनुभव किसी कर्मचारी की क्षमता को कैसे निखारेगा यह निर्देशित करने के लिए करियर योजना बहुत आवश्यक है। प्रवसन चक्र आपको वास्तविक काम से परे कहां ले जाएगा इसकी बड़ी तस्वीर दिमाग में रखना कामयाबी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है और साथ ही यह परित्याग की भावना का दमन करने में भी आपकी मदद करेगा।

  • संचार के माध्यम से देश की नीतियों, परियोजनाओं, योजनाओं और कर्मचारी परिवर्तनों के लिए कर्मचारी का अद्यतन रहना बहुत महत्वपूर्ण है। यह प्रबंधक को कंपनी के संपर्क में रखता है और पुनर्प्रवेश में मदद करता है।

  • पुनर्प्रवेश की नौकरियों में कर्मचारी के कौशल और अनुभव का उपयोग करें जो उसने परियोजना के दौरान अर्जित किये हैं। ऐसा करने का एक तरीका हाल के प्रवासियों को सलाहकार के रूप में तैयार करना या उनके अनुभव को बांटने के लिए एक मंच की सुविधा प्रदान करना है।

  • स्वदेशी प्रबंधकों के लिए प्रशिक्षण एक निरंतर कार्य होना चाहिए। यह प्रशिक्षण उन्हें अंतरराष्ट्रीय अनुभव के मूल्यों और संगठन के भीतर उपयोग किए जाने वाले तरीके को जानने में मदद करेगा।

हालांकि, इन सिद्धांतों को अभी तक निष्पादित नहीं किया गया है। इसकी परिणति अक्सर 40% दर तक प्रवास असफलता में हुई है, जैसा कि सूचित किया गया है, और 20% कर्मचारी अपने विदेशी कार्य के बाद कंपनी को छोड़ देते हैं । यह सुझाव दिया जाता है कि अंतरराष्ट्रीय अनुभवों को चुनने के इच्छुक लोगों को कई आत्म-मूल्यांकन और नियोजित कदमों से होकर गुजारा जाना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अंतर्राष्ट्रीय कार्य का उनके समग्र करियर के उद्देश्यों पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं होगा।

कोई विदेशी कार्य चुनने से पहले क्या जांचे?

कोई भी विदेशी काम चुनने से पहले, जिन मुख्य कारकाें का आपको अध्ययन करने की जरूरत है वह हैं इसकी −

  • भौगोलिक स्थिति
  • संस्कृति
  • सीमा शुल्क और
  • स्थान की राजनीतिक स्थिति

यह सुनिश्चित करना कि आप नए स्थान पर स्वयं को समायोजित कर सकते हैं। हालांकि, अंतरराष्ट्रीय करियर के संबंध में कुछ विरोधाभास हैं। एक से अधिक राष्ट्रीय दृष्टिकोण से व्यापार को समझने वाले प्रबंधकों की मांग बढ़ती जा रही है, इसलिए 2001 के आतंकवादी हमलों के कारण विदेशों में यू.एस. नागरिकों को भेजने में एक झिझक महसूस की जा रही है।

जिस तरह उच्च लागत और परिश्रम अनिश्चितता के साथ प्रवासी की काबलियत से कहीं न कहीं जुड़े होते हैं और उसके विदेश आगमन के बाद उस पर प्रभावशाली ढंग से प्रदर्शन करने का दबाव बना होता है, एेसी स्थिति में अंतरराष्ट्रीय प्रचालन से जुड़े देश इस बात पर जोर देते हैं कि विदेश में कार्यरत रहते हुये वे वहां के स्थानीय प्रबंधकों काे विकसित करने पर जोर दें। यह अंततः भविष्य के वैश्विक मैनेजर के लिए विदेशी विकास परियोजनाओं को सीमित करेगा।

करियर विकास सेवानिवृत्ति योजना

सेवानिवृत्ति नियोजित करना कोई एक दिन का काम नहीं है । यह करियर के शुरुआती चरणों से किया जाना चाहिए, हालांकि युवा इसे अक्सर स्वीकार नहीं करते हैं। सेवानिवृत्ति पैकेज को विभिन्न लाभ प्रदान करने चाहिए जैसे कि −

  • निवेश परामर्श
  • लाभ साझा करना और
  • विलम्बित मुआवजा योजनाएं

लेकिन आजकल कमाई इतनी नहीं है कि उसका कुछ हिस्सा सेवानिवृत्ति के लिए निश्चित कर दिया जाए।

सेवानिवृत्ति के बाद जीवन

अनिवार्य सेवानिवृत्ति के उन्मूलन और निश्चित पेंशन लाभों को सीमित करने के बाद, कर्मचारियों को अपने भविष्य या सेवानिवृत्ति के बाद वाले खर्चों के बारे में सोचने के लिए मजबूर करना एक जरुरत बन गई है। आज के लोग, 65 साल की उम्र में सेवानिवृत्ति की अवधारणा में विश्वास नहीं करते हैं । यह 50-75 या इससे भी ज्यादा हो सकती है, जो आपको सेवानिवृत्ति की योजना के लिए थोड़ा और समय देती है।

पूर्व-सेवानिवृत्ति सेमिनार

कई कंपनियां अब पूर्व-सेवानिवृत्ति के सेमिनारों का आयाेजन कर रही हैं जो वित्तीय, सामाजिक, मनोवैज्ञानिक स्थिति और करियर परिवर्तन आदि मुद्दों पर सवाल उठाती हैं । बेहतर होगा कि कंपनियां अपने कर्मचारियों के लिए एक लचीली कार्य अनुसूची प्रदान करें, ताकि वे अपने काम के साथ अपने जुड़ाव को बनाये रखते हुए अपनी रुचियां और लक्ष्यों को तलाशने का कुछ समय पा सके। इस तरह से वे परिवर्तन चरण से पार पा सकेंगे।

समर्पित कर्मचारियों को पर्याप्त छुटि्टयों की अनुमति दे जिसके कि उन्हें बाहरी दुनिया के साथ संबंध स्थापित करने, अपने रिश्तेदारों और मित्रों के साथ समय बीताने के लिए पर्याप्त समय मिलेगा। शुरुआती चरण से पूर्व-सेवानिवृत्ति कार्यक्रम शुरू करने से कर्मचारियों में सेवानिवृत्ति को लेकर एक तरह की संतुष्टि आ सकती है और साथ ही उनमेें अपने नियोक्ता/कंपनी के प्रति सद्भावना का विकास भी हो सकता है।

वैकल्पिक कार्य व्यवस्था

लोग एक समान बूढ़े नहीं होते। एेसा देखा गया है कि लोगों ने अपने करियर के बाद के वर्षो में उत्कृष्ट  प्रर्दशन दिया है। यदि किसी कर्मचारी ने एक निश्चित आयु सीमा पार कर ली है, तो इसका अर्थ यह नहीं है कि वह सेवानिवृत्ति का पात्र हो गया है। आयु किसी व्यक्ति की दृश्य तीक्ष्णता, प्रतिक्रिया का समय या सहनशक्ति को तो सीमित करती है, लेकिन बहुत ज्यादा ज्ञान और अनुभव भी प्रदान करती है।

यह मानना गलत है कि पुराने कर्मचारी नए कौशल नहीं सीख सकते, या कड़े शब्दाें में कहे तो, सीखने की कठिनाइयां कौशल और प्रतिभा की कमी से नहीं, प्रोत्साहन की कमी के कारण उत्पन्न होती हैं। समस्या इस लिए उत्पन्न होती है क्योंकि पुराने श्रमिकों को उनके करियर में अधिक व्यस्त रखने के लिए उचित प्रशिक्षण और उन्नति के अवसर नहीं दिये गये।

पेसिफिक टेलीफोन, यूनीरॉयल और क्रिसलर जैसी कई कंपनियां अपने कर्मचारियों को गोल्डन हैंडशेक या त्वरित स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति कार्यक्रमों का तोहफा दे रही हैं। एक पूर्व सेवानिवृत्ति कार्यक्रम स्थापित करने का उद्देश्य अलग-अलग हो सकता हैं। संभवतः यह जूनियर कर्मचारियों की करियर संबंधी बाधाओं को दूर करता हो या संभावित श्रम अधिशेष प्रबंधन या श्रम लागत बचत का प्रबंधन कर सकता हो। यह ये सब प्रभावी योजना के बारे में है।

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