व्यावसायिक कुशाग्रता के प्रमुख तत्व



व्यवसाय खास करके चार मापदंडों − नकदी, परिसंपत्तियां, लाभ और विकास पर चलता है। आईए प्रत्येक मापदंड का एक-एक करके विश्लेषण करें।

नकदी

बहुत से लोग आमदनी और नकदी में भ्रमित हो जाते हैं हालांकि इनमें ज्यादा फर्क नहीं है। एक व्यक्ति अपनी खुद की बेकरी की दुकान चला रहा है, और दिन के अंत तक कई केक, पेस्ट्री और बेगल्स बेचता है, वह यह कह सकता है कि दिन भर में उसके नकद काउंटर में जमा हुई नकदी ही उसकी उस दिन की आमदनी है।

हालांकि अगर वह एक शादी में सभी बेकरी उत्पादों की सप्लाई करता है और अगले महीने भुगतान करने के लिए 2000 डॉलर का चालान बनाता है तो उसकी आमदनी 2000 डॉलर हो सकती है लेकिन उसकी नकदी शून्य है। इन दो शब्दों के बीच अंतर को जानना इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि वह नकद है, जो व्यवसाय को चलाता है नाकि राजस्व।

कुछ ऐसे खास शब्द हैं जिनसे लोगों को व्यापार की कार्यप्रणाली को समझने के लिए परिचित होना चाहिए। वह हैं −

  • नकद स्थिति − नकद राशि जो कि किसी भी समय पर उपलब्ध है।

  • नकदी − नकदी प्राप्त करने की तत्कालिकता।

  • नकदी प्रवाह − निवेश की गई नकदी बनाम प्राप्त की गई नकदी।

पिछले उदाहरण के अनुसार यदि शादी की चीजें तैयार करने के लिए बेकर का 400 डॉलर का खर्च होता तो उसका नकदी प्रवाह -400 डॉलर होता है।

परिसंपत्तियां

परिसंपत्तियां ऐसी चीजें हैं जो व्यापार को स्थापित और चलाने के लिए आवश्यक हैं। इसमें कार्यालय परिसर, इमारत जिसमें कंपनी स्थापित की गई है, जमीन जिस पर कंपनी का निर्माण किया गया है, और कर्मचारियों को दैनिक कार्य को पूरा करने में मदद करने वाली चीजें जैसे कि इंटरनेट, टेलीफोन, कंप्यूटर, आदि शामिल हैं।

इसमें निवेश और नकदी भी शामिल है। कंपनी की परिसंपत्तियां जितनी मजबूत होंगी वह कंपनी उतनी अधिक भरोसेमंद होगी। मजबूत परिसंपत्तियों वाली कंपनियों को अक्सर स्थिर कंपनियों के रूप में माना जाता है जो आसानी से अपने वित्तीय दायित्वों को अपनी बड़ी नकदी से पूरा कर सकती हैं।

इसे कंपनी की "परिसंपत्ति शक्ति" कहा जाता है। परिसंपत्ति का उपयोग प्रभावशील होता है जिससे कंपनी में परिसंपत्तियों का उपयोग किया जा रहा है और इससे कार्यप्रणाली को कितनी दक्षता मिलती है।

लाभ

लाभ को खर्च की गई नकद राशि और उससे होने वाली आमदनी के अंतर के रूप में परिभाषित किया गया है। किसी भी कंपनी को बने रहने, पनपने और बनाए रखने के लिए यह जरूरी है कि वह आभासी मुनाफे के बजाय वास्तविक मुनाफा बनाए जहां उत्पादन लागत और मुद्रास्फीति जैसे बाजार-आधारित उतार-चढ़ाव के जरिये लाभ बनाम लाभ का मार्जिन समाप्त हो सकता है।

विकास

विकास किसी भी व्यवसाय की सफलता का एक प्रमुख मापदंड है। शुरूआती कंपनियां इस पर लगी रहती हैं कि उनके लिए क्या सही हैं क्योंकि उनका प्रबंधन सोचता है कि उन्होंने एक "जादुई सूत्र" इजाद किया है और कोई भी चूक उन्हें अपनी नई मिली सफलता को खोने पर मजबूर कर देगी।

एक जादुई सूत्र पर टिके रहना नई कंपनी के लिए सही हो सकता है क्योंकि उन्हें एक ही समय में बहुत सी चीजों को किए बिना बाजार में अपनी स्थिति को मजबूत करने की आवश्यकता है। हालांकि यही रणनीति पहले से ही स्थापित कंपनियों को आपदा में डाल सकती है।

आप हमेशा ऐसी नई कंपनियां देखेंगे जो सफल होने के लिए भूखी रहती हैं और बाज़ार में अपनी जगह बनाना चाहती हैं। दूसरी ओर एक स्थापित कंपनी लंबे समय तक एक ही बाजार में रह करके स्थिरता को प्राप्त कर सकती है।

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