कर्मचारियों के लिए व्यावसायिक कुशाग्रता



इसके बारे में कभी प्रश्न ही नहीं उठा कि व्यावसायिक कुशाग्रता मैनेजरों के लिए महत्वपूर्ण है हालांकि अब इसे कर्मचारियों के लिए भी एक जरुरत के तौर पर प्रोत्साहित किया जा रहा है। यह उन लोगों के लिए सही नहीं हो सकता जो संगठन के लिए महत्वपूर्ण कर्मचारियों के रूप में काम कर रहे हैं।

जो ग्राहक सेवा में हैं उनका सीधा संबंध ग्राहकों से होता है। सोशल मीडिया की आज की दुनिया में इन कर्मचारियों में से किसी एक की छोटी सी गलती से कंपनी की वर्षों से बनाई प्रतिष्ठा और ब्रांड इमेज खराब हो सकती है।

कर्मचारियों के लिए कुशाग्रता

एक दुर्भाग्यपूर्ण कर्मचारी का मामला

एक फास्ट फूड चेन में हाल ही में एक ग्राहक के गुस्से का शिकार हुए एक दुर्भाग्यपूर्ण कर्मचारी का उदाहरण लेते हैं।

इस ग्राहक ने दावा किया कि उसने एक दिन पहले उनके भोजनालय से डोनट्स का एक डब्बा ऑर्डर किया था और इसके लिए भुगतान भी किया था लेकिन उसे खरीदारी की रसीद नहीं मिली थी। अब इस भोजनालय की नीति के अनुसार यदि कोई ग्राहक दावा करता है कि उसे उसके ऑर्डर की रसीद नहीं मिली है तो कंपनी पूरा ऑर्डर निःशुल्क प्रदान करती है।

लेकिन यहां एक चाल है। यह सेवा केवल उसी दिन के लिए है जब आपने ऑर्डर किया हो और इसी से यह ग्राहक चिढ़ी हुई थी: वह एक दिन पहले की गई एक खरीदारी की रसीद ना मिलने पर एक मुफ्त मील चाहती थी।

हालांकि उसकी मांगे कंपनी की नीति के अंतर्गत नहीं आती थीं और ग्राहक सेवा प्रतिनिधि ने नम्रतापूर्वक यह स्पष्ट किया कि उनका अनुरोध पूरी तरह से प्रतिदेय होता यदि उसने इसको एक दिन पहले बताया होता लेकिन ग्राहक सुनने को तैयार ही नहीं थी और वह लगातार चिल्ला रही थी और काउंटर के पीछे खड़ी लड़की जो इसे सुलझाने की पूरी कोशिश कर रही थी, को नस्लवादी टिप्पणी और अपशब्द बोल रही थी।

अंत में लड़की के धैर्य ने जवाब दे दिया और उसने ग्राहक से झगड़ना शुरू कर दिया। इस समय कतार में खड़े किसी व्यक्ति ने एक वीडियो बनाया और उसे कुछ सोशल नेटवर्किंग साइटों पर पोस्ट कर दिया। जिन लोगों ने इसे देखा था वे यह समझ रहे थे कि ग्राहक सेवा एजेंट ने ही झगड़ा शुरू किया और ग्राहक को अपमानित किया। देखने में भी ऐसा ही लग रहा था क्योंकि वीडियो में वो हिस्सा नहीं था जहां ग्राहक ने यह सब शुरू किया था

इसे दुनिया भर में लाखों बार देखा गया और इसकी समीक्षा की गई जिससे कंपनी को बड़ी शर्मिंदगी उठानी पड़ी और उसकी ग्राहक-केंद्रित कंपनी वाली छवि को गंभीर रूप से नुकसान पहुँचा।

जब इस वीडियो को उसी कंपनी के प्रबंधक द्वारा एक प्रशिक्षण सत्र में अन्य मुख्य कर्मचारियों के सामने चलाया गया तो लगभग सभी ने माना कि ग्राहक सेवा प्रतिनिधि ने इसके लिये सही कदम नहीं उठाया। हालांकि जब उनसे पूछा गया कि, वे इसी तरह की स्थिति को कैसे नियंत्रित करेंगे तो वे भी कुछ जवाब नहीं दे सके। इसने सही और गलत के अंतर और इस स्थिति में क्या करना चाहिए इस ज्ञान को उजागर किया। ताकि कंपनी को उस तरह से फिर शर्मिंदा न होना पड़े।

जब उसे लगने लगा कि समस्या हाथ से बाहर हो रही है तो ग्राहक सेवा प्रतिनिधि के लिए सबसे अच्छा विकल्प यह होता कि इस प्रकार की समस्या को फौरन अपने शिफ्ट मैनेजर या सुपरवाइज़र की ओर बढ़ा देती। असल में कई प्रबंधकों ने इस तरह की स्थितियों से निपटने के लिए विनम्रता से ग्राहक को अंशाति फैलाने से पहले ही वह जो चाहता था उसे दे दिया।

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